लोहू पीना रास आता है ग़म हैकल सीने खाता है अश्क चमकने की मोहलत में सहरा पानी हो जाता है सौ ख़ुशबूएँ हैं पानी में फूलों का चश्मा दाता है ग़म चेहरे पर बैठे बैठे कितने रंग उठा लाता है छतनारी आँखों का बादल दिल को मोती कर जाता है पाँव में क्या चक्कर है बगुला जो अंधे ग़ोते खाता है