हल्क़ा-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम इलाही तौबा इश्क़ की कोशिश-ए-नाकाम इलाही तौबा कोका-कोला से बहक जाएँ जो वो रिंद हैं हम व्हिस्की-ओ-ठर्रा का इक जाम इलाही तौबा हर क़दम पर उसे काँटे ही बिछाते देखा कहने को है बुत-ए-गुलफ़म इलाही तौबा पहले हम बीमा करा लें तो मोहब्बत भी करें मौत आती है बहर-गाम इलाही तौबा साक़िया हम तो निगाहों से ही पी जाते हैं रिंद-ए-पाबंद-ए-मय-ओ-जाम इलाही तौबा पहले तो क़द्र हुआ करती थी हुस्न-ए-दिल की मो'तबर अब है मगर जाम इलाही तौबा उन के किरदार से शैतान भी शरमाता है मुँह में जिन के है हरे राम इलाही तौबा