हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई तुम को दुनिया-दारी आई दिल-जूई दिलदारी आई तुम को भी ये अय्यारी आई फूल को हम ने जब भी छुआ है हाथ में इक चिंगारी आई साक़ी गुम ख़ाली मय-ख़ाना कैसी ये बाद-ए-बहारी आई हुस्न वही है हुस्न कि जिस को सादगी ओ पुरकारी आई मुश्किल जब आसान हुई तो उल्फ़त में दुश्वारी आई मक़्तल में इक शोर बपा है आई मेरी बारी आई हुस्न की हर मासूम नज़र से दिल पर ज़र्ब-ए-कारी आई सुब्ह से दिल मसरूर है 'साहिर' रात ये हम पर भारी आई