जल्वा बे-माया सा था चश्म-ओ-नज़र से पहले ज़ीस्त इक हादसा थी क़ल्ब-ओ-जिगर से पहले हुस्न के सोज़-ए-नुमाइश का है इनआम-ए-हयात वक़्त भी वक़्त न था शम्स-ओ-क़मर से पहले वही उतरी दिल-ए-बेताब की तश्कील के ब'अद इश्क़ तामीर हुआ इल्म-ओ-हुनर से पहले ऐन फ़िरदौस में जल उट्ठा था आदम का शबाब आग बरसी थी यहीं दीदा-ए-तर से पहले फिर कहीं दिल के सिवा उन को अमाँ ही न मिली बुत निकाले गए अल्लाह के घर से पहले ज़िंदगी मज़रा-ए-तकलीफ़-ओ-सुकूँ है 'अफ़ज़ल' शाम उगती है यहाँ नूर-ए-सहर से पहले