हम ने बुतों को राम किया तुम ने क्या किया हम ने ख़याल-ए-ख़ाम किया तुम ने क्या किया हम ने तो पा-ए-नाज़ुक-ए-जानाँ पे जान दी सज्दा किया क़ियाम किया तुम ने क्या किया दीवानगी में होश की बातें किया किए हम ने ये एहतिमाम किया तुम ने क्या किया गहरे हैं घाव दिल के प तुम से गिला नहीं ये तो ज़बाँ ने काम किया तुम ने क्या किया किस सादगी से कहते हैं मर जाएँ अहल-ए-दिल हम ने तो क़त्ल-ए-आम किया तुम ने क्या किया वा'दे की सुब्ह शाम हुई फिर भी तुम न आए हम ने सहर को शाम किया तुम ने क्या किया क्यों ना-तमाम रह न गई दिल की दास्ताँ क़िस्सा कहाँ तमाम किया तुम ने क्या किया 'शारिक़' सलाम उस ने लिया हाँ लिया ज़रूर किस शख़्स को सलाम किया तुम ने क्या किया