हम ने जाएज़ शराब कर डाली ज़िंदगानी ख़राब कर डाली धज्जी धज्जी ख़ुद अपने मज़हब की हम ने आली जनाब कर डाली सिर्फ़ दुनिया ही तक नहीं महदूद आक़िबत तक ख़राब कर डाली कोई चेहरा नज़र नहीं आता कोशिश-ए-बे-हिसाब कर डाली अक़्ल-मंदों ने ज़िद में क़ुदरत से कुल ज़मीं ज़ेर-ए-आब कर डाली कुछ समझ में न आप के आया ख़त्म सारी किताब कर डाली क्या क़यामत है पीर-ओ-मुर्शिद ने कुफ़्र मस्ती सवाब कर डाली बस के 'आसी' ये वक़्त-ए-तौबा है आरज़ू बे-हिसाब कर डाली