हम ताज़ा-बहारों का पैग़ाम तुम्हें देंगे कुछ ख़्वाब भी चुन चुन कर हर शाम तुम्हें देंगे जो घूमते फिरते हैं ख़ुश-रंग लिबासों में ख़ुद जुर्म करेंगे और इल्ज़ाम तुम्हें देंगे इक अज़्म-ए-सफ़र है शर्त और कुफ़्र है मायूसी पेड़ों के घने साए आराम तुम्हें देंगे धरती पे उभरने का तुम अज़्म करो पहले हम चाँद सितारों का इनआ'म तुम्हें देंगे उलझन में पड़े क्यों हो तुम अपनी कहानी का आग़ाज़ सुनाओ तो अंजाम तुम्हें देंगे इक धूप मिरे मुँह पर क्या फेंकी है ज़ालिम ने वा'दा था कि नज़्ज़ारे हर गाम तुम्हें देंगे हाँ जज़्बा-ए-ईमाँ की तस्दीक़ तो हो पहले वा'दा है कि कौसर का इक जाम तुम्हें देंगे आया है परखने का फिर वक़्त 'जमाल' इक बार औरों से न होता हो वो काम तुम्हें देंगे