हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों बस तिरे यार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों एक ही सच ने हमें ऐसा किया सर-अफ़राज़ बरसर-ए-दार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों मैं अकेला हूँ मिरी जान के दुश्मन अफ़्लाक एक दो चार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों नाम सुनते ही मिरा आग-बगूला हो जाएँ मुझ से बेज़ार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों उम्र भर बात पे क़ाएम रहे 'फ़रताश' कि हम अहल-ए-किरदार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों