हमारा ख़ून है ये सुर्ख़ आब थोड़ी है ये एक ज़िंदा हक़ीक़त है ख़्वाब थोड़ी है चमक रहा है हमारी मोहब्बतों के सबब वगर्ना चेहरा तिरा माहताब थोड़ी है सितम जो हम पे करे हम कहें उसे अपना कोई दिमाग़ हमारा ख़राब थोड़ी है गँवा दें क्यों भला साँसों को हम बिला मक़्सद हमारी ज़ीस्त है कोई इताब थोड़ी है ख़िज़ाँ की गर्म हवाएँ ही छीन लें 'आमिर' हमारा हक़ है गुलों का शबाब थोड़ी है