हमारे हाल से घबरा के मत किनारा कर तू चारागर है अगर वाक़ई तो चारा कर कहीं ख़ुशी से मिरी धड़कनें न थम जाएँ तू मुझ को इतनी मोहब्बत से मत पुकारा कर मसर्रतें तिरे घर से कभी न रूठेंगी ज़रा ग़रीब के बच्चों को भी दुलारा कर तअ'ल्लुक़ात में अपनी ही ज़िद नहीं चलती तू दोस्तों की भी ख़ुशियाँ कभी गवारा कर जुनूँ से काम लिया जिस ने पा गया वो मुराद तू घर में बैठ कर अंदाज़ा-ए-ख़सारा कर लियाक़तें तो हमेशा अदब सिखाती हैं बड़ों के सामने मत शैख़ियाँ बघारा कर तू चाहता है अगर सब्र-ओ-शुक्र की दौलत फ़क़ीर लोगों की सोहबत में दिन गुज़ारा कर