हमारे इश्क़ का अंजाम हम को क्या मालूम सुना है उन को ख़बर है मगर ख़ुदा-मा'लूम वो बद-नसीब जो माँगे तो उन से क्या माँगे दुआ की जिस को ख़बर हो न मुद्दआ' मालूम न पूछ मुझ से मिरे दर्द-ए-दिल का हाल न पूछ कि अब तो दर्द का एहसास भी है ला-मा'लूम रह-ए-तलब में अगर होश है तो सिर्फ़ इतना कि जा रहा हूँ मगर किस तरफ़ ख़ुदा-मा'लूम 'सहर' करूँ तो करूँ क्या कि दिल से हूँ मजबूर वगर्ना ख़ब्त-ए-मोहब्बत का फ़ाएदा मालूम