हमारी आँख ने यूँ भी अज़ाब देखा था किसी की आँख से बहता जवाब देखा था लबों से आप के गिर कर बिखर गई होगी हर एक शय पे जो रंग-ए-शराब देखा था हमारे लम्स ने जादू तुम्हारे रुख़ पे किया तभी तो शीशे में तुम ने गुलाब देखा था क़रीब आप के मैं भी खड़ा हुआ था कल वही जो ख़ाक में लिपटा जनाब देखा था