संग उस का है और सर मेरा आख़िरी मोड़ पर है डर मेरा इक छलावा है मील का पत्थर इक हक़ीक़त है ये सफ़र मेरा ऐ हवाओ चलो गवाही दो तुम ने देखा है जलता घर मेरा दो घड़ी और मुझ को सुन लीजे अब तो क़िस्सा है मुख़्तसर मेरा जब ज़माना था मेरी मुट्ठी में काम आया बहुत हुनर मेरा मैं नहीं फ़न-शनास कहते हैं नाम थोड़ा है मो'तबर मेरा बस किसी तौर ऐ मियाँ 'साक़िब' हो रहा है गुज़र-बसर मेरा