हमारी तर्ज़-ए-शिकायत किसी को क्या मालूम तुम्हारा रंग-ए-तबीअ'त किसी को क्या मालूम हर एक ख़ून के क़तरे में है तिरी तस्वीर ये इंतिहा-ए-मोहब्बत किसी को क्या मालूम हमारे अश्क-ए-नदामत पिरोए जाएँगे बनेगा दामन-ए-रहमत किसी को क्या मालूम जो दिल भी देते हैं हम नाम तक नहीं लेते हमारी शान-ए-मुरव्वत किसी को क्या मालूम तजल्लियों ने किया इंतिख़ाब-ए-दिल मेरा मुझे मिली है जो दौलत किसी को क्या मालूम ख़ुदा की याद में हर वक़्त महव रहता है दिल-ए-'शमीम' की हालत किसी को क्या मालूम