हाँ अगर दिन को कभी रात कहा जाता है इस को मजबूरी-ए-हालात कहा जाता है आसमाँ हो के भी जो लोग ज़मीं जैसे हैं ऐसे लोगों को ही सादात कहा जाता है जब सुना औरों के मुँह से तो ये जाना मैं ने मेरी शोहरत में तिरा हाथ कहा जाता है दिल में जब प्यार के एहसास जवाँ होने लगे तब उसे प्यार की शुरूआ'त कहा जाता है आँख से गिर के मिरे अश्क ज़मीं-दोज़ हुए हिज्र में इस को ही बरसात कहा जाता है बा'द जाने के भी सीने में मेरे बैठा रहा इस को ही सच्ची मुलाक़ात कहा जाता है