हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ कौन आने वाला है किस का रास्ता देखूँ शाम का धुँदलका है या उदास ममता है भूली-बिसरी यादों से फूटती दुआ देखूँ मस्जिदों में सज्दों की मिशअलें हुईं रौशन बे-चराग़ गलियों में खेलता ख़ुदा देखूँ लहर लहर पानी में डूबता हुआ सूरज कौन मुझ में दर आया उठ के आइना देखूँ लहलहाते मौसम में तेरा ज़िक्र-ए-शादाबी शाख़ शाख़ पर तेरे नाम को हरा देखूँ