हर गुल उस बाग़ का नज़रों में दहाँ है गोया सूरत-ए-ग़ुंचा जो देखूँ तो ज़बाँ है गोया ताक की तरह सभी मस्त पड़े ऐंडें हैं मय-कदा अब गिरौव-ए-बादा-कशाँ है गोया चश्म है तुर्क निगह नेज़ा ओ मिज़्गाँ तरकश ज़ुल्फ़-ए-पुर-पेच का हर हल्क़ा कमाँ है गोया जा भिड़ाता है हमेशा मुझे ख़ूँ-ख़्वारों से दिल बग़ल-बीच मिरा दुश्मन-ए-जाँ है गोया 'हातिम' अब उस की सभी मुँह की तरफ़ देखे हैं शीशा मज्लिस में यहाँ पीर-ए-मुग़ाँ है गोया