हर कसी को कब भला यूँ मुस्तरद करता हूँ मैं तू है ख़ुश-क़िस्मत अगर तुझ से हसद करता हूँ मैं बुग़्ज़ भी सीने में रखता हूँ अमानत की तरह नफ़रतें करने पे आ जाऊँ तो हद करता हूँ मैं कोई अपने-आप को मनवाने वाला भी तो हो मान्ने में कब कसी के रद्द-ओ-कद करता हूँ मैं कुछ शुऊरी सतह पर कुछ ला-शुऊरी तौर पर कार-ए-फ़िक्रो-ओ-फ़न में अब सब की मदद करता हूँ मैं इस लिए मुझ से ख़फ़ा हैं अहल-ए-गुलशन आज-कल रंग झुटलाता हूँ ख़ुश्बू मुस्तरद करता हूँ मैं मेरे जज़्बों से बचाओ नेक-दिल लोगो मुझे रोज़ ओ शब इन बद-मआशों की मदद करता हूँ मैं दूसरों के वास्ते लिक्खा हुआ लगता है झूट अपनी सच्चाई को अक्सर आप रद करता हूँ मैं रंग पर आई हुई है अब जुनूँ-ख़ेज़ी मेरी रोज़ ओ शब तौहीन-ए-अर्बाब-ए-ख़िरद करता हूँ मैं तौक़ गर्दन में पहनता हूँ लहू की धार का ख़ल्क़ को हैरान 'साजिद' ज़द-ब-ज़द करता हूँ मैं