कार-ज़ार-ए-दहर में क्या नुसरत-ओ-ग़म देखना एक बस अपना अलम और अपना परचम देखना इस तिलिस्म-ए-अस्र-ए-हाज़िर से जब आँखें जल उठीं दूर जलता इक चराग़-ए-इस्म-ए-आज़म देखना मुंतज़िर हैं रास्तों पर हादसे चलते हुए खोल रखना अपनी आँखें और कम कम देखना चाँद तारे और जुगनू और मिरा रंग-ए-हुनर या'नी उस को याद करना उस को पैहम देखना हिज्र की पुर-सोज़ रातें किस तरह आबाद हों शाद हूँ शादाब हूँ ऐ मेरे हमदम देखना