होंगे दिल-ओ-जिगर में निशाँ देख लीजिए तीर-ए-नज़र पड़े हैं कहाँ देख लीजिए बाग़-ए-जिनाँ में लुत्फ़-ए-अज़िय्यत भला कहाँ दुनिया में सैर-ए-जौर-ए-बुताँ देख लीजिए आहें निकल रही हैं दिल-ए-दर्द-नाक से फ़ौज-ए-ग़म-ओ-अलम का निशाँ देख लीजिए पर्दे ही से न आएँ वो बाहर तो फिर उन्हें किस तरह देख लीजे कहाँ देख लीजिए हिन्दोस्ताँ से चलिए सू-ए-कर्बला 'नसीम' वाँ चल के सैर-ए-बाग़-ए-जिनाँ देख लीजिए