हर ख़ुशी को ग़मों में ढाला है By Ghazal << लहू न आँख से टपका न ज़ख़्... चाँद के देस में है जी का ... >> हर ख़ुशी को ग़मों में ढाला है आरज़ूओं का बोल-बाला है अपना साया भी अजनबी होगा आख़िरी मोड़ आने वाला है मिलना चाहो तो सौ बहाने हैं वर्ना हर मोड़ पर उजाला है वास्ता उन उदास लम्हों का हम ने हर हादसे को पाला है Share on: