हर ख़ुशी मेरे साथ है उस की मुझ से वाबस्ता ज़ात है उस की प्यार में जो हदों से आगे बढ़ा यूँ समझिए कि मात है उस की जो ग़रीबों के काम आता है आख़िरत में नजात है उस की ऐसों-वैसों को मुँह लगाता नहीं बात वालों में बात है उस की जिस के पहलू में उस का हो महबूब यूँ समझिए कि रात है उस की उस के घर बज रही है शहनाई आज 'साहिर' बरात है उस की