हर तक़ाज़ा जो ज़िंदगी का है By Ghazal << जागना अपना न सोना अपना इक ज़ब्त कि जो हद से गुज़... >> हर तक़ाज़ा जो ज़िंदगी का है पूरा होता किसी किसी का है अब वो दुख दे तो क्या गिला उस से सुख भी सारा दिया उसी का है बन चला है अभी से अफ़्साना वाक़िआ' जो अभी अभी का है सब इरादे हैं नेक-ओ-बद 'तारिक़' कुछ भरोसा भी ज़िंदगी का है Share on: