जागना अपना न सोना अपना रात काँटों का बिछौना अपना बज़्म भी उस की नज़र भी उस की अपना होना भी न होना अपना जुस्तुजू है तिरी ये जान के भी तुझ को पा लेना है खोना अपना हार जाना वही हालात से फिर रात दिन फिर वही रोना अपना उस पे चल जाए किसी दिन 'तारिक़' कोई मंतर कोई टोना अपना