हसीन रात का मंज़र दिखाई देता है हर इक चराग़ सुख़नवर दिखाई देता है ये टिमटिमाते हुए जुगनुओं का इक हल्क़ा कई सितारों से बेहतर दिखाई देता है ये किस के लम्स ने मदहोश कर दिया उस को सुरूर-याफ़ता साग़र दिखाई देता है जहाँ से ज़र्रा बराबर भी कुछ नहीं दिखता वहाँ से साफ़ तिरा घर दिखाई देता है उसी को देर तलक देखने की हसरत है वो एक चेहरा जो पल भर दिखाई देता है हमारा इश्क़ है मक़बूलियत की मंज़िल पर किसी के हाथ में पत्थर दिखाई देता है ये किस मक़ाम पे ले आया उल्फ़तों का जुनून शिकस्ता दिल भी सुबुक-सर दिखाई देता है इक इंतिज़ार में ग़र्क़ाब हो चुका 'हानी' ज़माने भर को शनावर दिखाई देता है