हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे ऐ बे-ख़बरी हासिल-ए-मय-ख़ाना बना दे तालिब हूँ मैं उस एक निगाह-ए-दो-असर का जो होश में ला कर मुझे दीवाना बना दे ऐ बरहमन इक दिन बुत-ए-पिंदार को अपने तोड़ और चराग़-ए-दर-ए-बुत-ख़ाना बना दे कह दो कि बहार आए तो बे-कार न बैठे दीवाना बने या मुझे दीवाना बना दे दीवानगी-ए-इश्क़ बड़ी चीज़ है 'सीमाब' ये उस का करम है जिसे दीवाना बना दे