हथेलियों में चाँद को निहारने की धुन में हूँ ज़मीं पे एक आसमाँ उतारने की धुन में हूँ सुना है कोई भी अमल गया कभी न राएगाँ मैं दुश्मनों को दोस्ती से मारने की धुन में हूँ पड़ा हुआ हूँ इस लिए मैं साहिलों की गोद में लहर के साथ ज़िंदगी गुज़ारने की धुन में हूँ मुझे मुआ'फ़ मत करो सज़ा का मुस्तहिक़ हूँ मैं मुक़द्दरों को आप के सँवारने की धुन में हूँ कई घरों को जोड़ कर बनाई थीं जो बस्तियाँ उन्ही घरों में रौशनी उतारने की धुन में हूँ कहाँ नजात मिल सकी फ़रेब के हिसार से मैं आइने में अक्स को उतारने की धुन में हूँ ज़वाल से निकाल कर कमाल की तरफ़ 'असर' दबी हुई हयात को उभारने की धुन में हूँ