हौसला हार गया ज़ब्त ने दम तोड़ दिया By Ghazal << दुनिया-ए-हक़ीक़त से वो बे... गर तिरा दर खुला नहीं होता >> हौसला हार गया ज़ब्त ने दम तोड़ दिया गिर के अश्कों ने तबस्सुम का भरम तोड़ दिया और फिर उस ने मोहब्बत में लगा दी शर्तें ज़िद की दहलीज़ पे जज़्बात ने दम तोड़ दिया बुत-शिकन मैं भी हूँ मुझ को भी तो ग़ाज़ी कहिए मैं ने जो दिल में था पत्थर का सनम तोड़ दिया Share on: