हया-मआ'ब मोहब्बत निशान हैं आँखें बड़ी ख़लीक़ बड़ी मेहरबान हैं आँखें मचल रहे हैं इशारे तड़प रहे हैं पयाम जो देखिए तो बड़ी बे-ज़बान हैं आँखें कभी तमाम तवज्जोह कभी तमाम जफ़ा दिल-ए-हज़ीं के लिए इम्तिहान हैं आँखें नुमूद-ए-इज्ज़ पे आएँ तो फ़र्श-ए-रह बन जाएँ ग़ुरूर-ए-हुस्न में तो आसमान हैं आँखें