हो गए तुम से जुदा याद आया जो न होना था हुआ याद आया दिल भर आया है हमारा क्या क्या जब भी वो अह्द-ए-वफ़ा याद आया मैं तुझे याद न आया लेकिन तू मुझे सुब्ह-ओ-मसा याद आया तुझ को जितना भी भुलाना चाहा तू मुझे उस से सिवा याद आया ऐब औरों में नज़र आए बहुत कब किसे अपना किया याद आया इस बयाबाँ में जो कल रहता था आज वो आबला-पा याद आया ज़िंदगी अपनी 'नियाज़'-ए-ख़स्ता ऐसी गुज़री कि ख़ुदा याद आया