हज़ारों ग़म हैं इस मंज़िल में मंज़िल देखने वाले कलेजा थाम ले अपना मिरा दिल देखने वाले ये दिल वालों को ता'लीम-ए-सुजूद पा-ए-जानाँ है सर-ए-हर-मौज को बरपा-ए-साहिल देखने वाले हर इक ज़र्रे में पोशीदा है इक तुग़्यान-ए-मदहोशी सँभल कर देखना पैमाना-ए-दिल देखने वाले मिटाता जा रहा हूँ नक़्श-ए-पा सहरा-नवर्दी में कहाँ ढूँडेंगे मुझ को मेरी मंज़िल देखने वाले तेरे दिल में हज़ारों महफ़िलें जल्वों की पिन्हाँ हैं फ़लक पर अंजुम-ए-ताबाँ की महफ़िल देखने वाले फ़िशार-ए-ज़ब्त से लैला कहीं मजनूँ न हो जाए न देख अब सू-ए-महमिल सू-ए-महमिल देखने वाले किसी का अक्स हूँ 'एहसान' मुराआत-ए-हक़ीक़त में मुझे समझेंगे क्या तस्वीर-ए-बातिल देखने वाले