हिजाब-ए-हुस्न में या हुस्न-ए-बे-हिजाब में है ये रौशनी का सफ़र अक्स-ए-माहताब में है यक़ीं गुमाँ हो तो मंज़िल की सम्त ना-मा'लूम अभी सफ़र का इरादा फ़ुसून-ए-ख़्वाब में है अज़ाब-ए-जाँ से मुझ किस तरह नजात मिले कि मेरा नाम अभी हर्फ़-ए-एहतिसाब में है मिलेगा अज्र किसी दिन जज़ा की सूरत में अभी सज़ा का ख़सारा मिरे हिसाब में है हनूज़ दर्द की लज़्ज़त से आश्ना हूँ मैं सुकून मुझ को मयस्सर जो इज़्तिराब में है हवा भी अब है निगूँ-सार शाख़-ए-गुल पे कहीं अभी तो मौज भी साहिल पे नक़्श-ए-आब में है मैं अपने घर में हूँ लेकिन ये वहम है दिल में मिरा वजूद अभी दश्त-ए-बे-सराब में है मुझे भी दौलत-ए-शेर-ओ-सुख़न नसीब हुई अजीब हुस्न अता उस के इंतिख़ाब में है ये क़र्ज़ जाँ का 'सबा' मुझ से कब अदा होगा हुनूज़ सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब हिसाब में है