हिज्र मैं जो ली गई तस्वीर है ये हमारी आख़िरी तस्वीर है मौत भरती जा रही है अपने रंग ज़िंदगी मिटती हुई तस्वीर है तुम जिसे कहते हो जिस्मों की क़तार अस्ल में दीवार की तस्वीर है यार लोगों से गले मिलना भी क्या कोई पत्थर है कोई तस्वीर है मिट गई तस्वीर पहले इश्क़ की सामने अब दूसरी तस्वीर है जितनी तस्वीरें हैं मेरे सामने सब से अच्छी आप की तस्वीर है कुछ नहीं बदला तुम्हारे बा'द भी ज़िंदगी तस्वीर थी तस्वीर है रूह ने रक्खा हुआ है सब भरम वर्ना हर इक आदमी तस्वीर है ढल गई है प्यास मेरी नक़्श में ये जो पानी पर बनी तस्वीर है हाथ में टुकड़े ख़तों के हैं फ़क़ीह आँख में जलती हुई तस्वीर है