हो गया जिस दिन से अपना दिल उदास हो गई दुनिया की हर महफ़िल उदास दाग़-हा-ए-यास से है दिल उदास शम-ए-महफ़िल से हुई महफ़िल उदास मरने वाले जितने थे क्या मर गए फिर रहा है आज क्यों क़ातिल उदास दस्त-ए-क़ातिल में हिना है ख़ूँ नहीं इस लिए है शोख़ी-ए-क़ातिल उदास फेर ली किस ने मोहब्बत की निगाह हो रहा है क्यों हमारा दिल उदास वक़्त-ए-आख़िर क्यों न हो अफ़्सुर्दगी सुब्ह को हो जाती है महफ़िल उदास बेकसी गोर-ए-ग़रीबाँ की न पूछ उफ़ है कटती आख़िरी मंज़िल उदास आएगा हाँ वो सितमगर आएगा हो न इतना 'मुज़्तर'-ए-बे-दिल उदास