जब भी क़िस्सा अपना पढ़ना पहले चेहरा चेहरा पढ़ना तन्हाई की धूप में तुम भी बैठ के अपना साया पढ़ना आवाज़ों के शहर में रह कर सीख गया हूँ लहजा पढ़ना हर कोंपल का हाल लिखा है शाख़ का पीला पत्ता पढ़ना भेज के नामा याद दिला दो भूल गया हूँ लिखना पढ़ना लोगो मेरी प्यास का क़िस्सा सदियों दरिया दरिया पढ़ना दीवारों पर कुछ लिक्खा है तुम भी अपना कूचा पढ़ना माज़ी का आईना रख कर ख़ुद को थोड़ा थोड़ा पढ़ना मैं हूँ संग-ए-मील की सूरत मुझ से मेरा रस्ता पढ़ना ज़ीस्त का मतलब क्या है 'काज़िम' अपना अपना लिखना पड़ना