हो ख़ुदा का करम इरादों पर जी रहे हैं किसी के वा'दों पर ज़िंदगी को बना दिया है चमन फूल बरसें तुम्हारी यादों पर असलियत क्या है ये ख़ुदा जाने ज़िंदा अब तक हैं ए'तिक़ादों पर पास आ कर गुरेज़ करते हो ज़ुल्म है ये मिरी मुरादों पर छिन गए तख़्त बादशाहों के तंग दुनिया है शाह-ज़ादों पर मिल के सब अम्न-ओ-चैन से रहिए लानतें भेजिए फ़सादों पर ऐ 'फ़लक' नाज़ है फ़क़ीरी में मुझ को बोसीदा इन लिबादों पर