कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की धज्जियाँ बाँटते फिरते हैं गरेबानों की ख़ाक उड़ती है फ़ज़ा में यूँही परवानों की कौन लेता है ख़बर सोख़्ता-सामानों की हुस्न क्या शय है फ़क़त ज़ौक़-ए-नज़र की तस्कीन इश्क़ क्या चीज़ है तख़्लीक़ है अरमानों की आप रुख़ सैल-ए-हवादिस का बदल देता है आसमाँ देख के गर्दिश मिरे पैमानों की अक्स गुलशन पे बहारों का पड़ा था लेकिन खिंच गई फूल पे तस्वीर बयाबानों की आज साहिल पे पहुँच कर ही रहेगी कश्ती आज टक्कर है मिरे अज़्म से तूफ़ानों की हश्र के दिन वो ख़ता-वारों पे रहमत होगी आँख खुल जाएगी जन्नत के निगहबानों की इब्न-ए-आदम ने 'फ़लक' होश सँभाला जिस दम सब से पहले रखी बुनियाद सनम-ख़ानों की