होश में आएँ तो क्या होश में आए न बने बे-ख़ुदी अपनी वो पर्दा कि उठाए न बने चाक-ए-दिल चाक-ए-जिगर चाक-ए-गरेबाँ मत देख मुझ से यूँ लुट के तिरे सामने आए न बने ना-उमीदी का सुकूँ भी मिरी क़िस्मत में नहीं शम-ए-उमीद बुझाऊँ तो बुझाए न बने हम तो नाकाम पलट आएँ प ऐ जान-ए-हयात नामुरादाना तिरी बज़्म से आए न बने हाए वो लौह-ए-जबीं और वो तहरीर-ए-वफ़ा किस तरह उस को भुलाऊँ कि भुलाए न बने अपनी नाकाम मोहब्बत पे पशेमाँ हूँ 'पयाम' ज़ीस्त से आँख मिलाऊँ तो मिलाए न बने