कुछ मेरा भी चर्चा है तक़दीर के मारों में टूटा हुआ तारा हूँ पुर-नूर सितारों में रंगीन नज़ारों से वहशत है मिरे दिल को मैं कैसे चला जाऊँ गुलशन की बहारों में रहता हूँ मैं सहरा में बस्ती से जुदा हो कर ढूँडो न मुझे यारो तुम शोख़ नज़ारों में मैं कैसे रहूँ ज़िंदा गिर्दाब की बाँहों में मिलती है अमाँ किस को तूफ़ान के धारों में ये लोग लुटेरे हैं लूटेंगे मेरे दिल को मिलते हैं कहाँ मुख़्लिस इन हिर्स के मारों में काँधों पे उठा लेना ताबूत-ए-मोहब्बत को मुझ को भी सजा देना चाहत के मज़ारों में मैं 'आश्ना' वाक़िफ़ हूँ हालात-ए-गुलिस्ताँ से जज़्बात की गर्मी है फूलों में न ख़ारों में