हुजूम-ए-यास में लेने वो कब ख़बर आया अजल न आई तो ग़श किस उमीद पर आया बिछे हैं कू-ए-सितमगर में जा-ब-जा ख़ंजर रग-ए-गुलू का लहू पाँव में उतर आया दिखाई मर्ग ने क्या क्या बुलंदी ओ पस्ती चले ज़मीं के तले आसमाँ नज़र आया हमेशा अफ़्व तिरा है गुनाह का हामी हमेशा रहम तुझे मेरे हाल पर आया बुतों में कोई भलाई भी है सिवाए सितम बुरा हो तेरा दिल-ए-ना-सज़ा किधर आया बनाई बात बिगड़ने ने रोज़-ए-महशर भी उठे हैं ख़ाक से हम जब वो गोर पर आया कहाँ की आह-ओ-बुका बात बन गई 'शोला' ज़बाँ के हिलते ही फ़रियाद में असर आया