हम सियह-बख़्तों को सूली पर चढ़ाना और है दार-ए-ईसा और है ज़ुल्फ़-ए-चलीपा और है ख़ुद-बख़ुद क़ुर्बान होने के लिए जाते हैं लोग राह-ए-मक़्तल और है का'बे का रस्ता और है किस ने देखा है ख़ुदा को देखते हैं तुम को सब तूर-ए-मूसा और है कोठा तुम्हारा और है नामा-ए-जानाँ है या लिक्खा मिरी तक़दीर का ख़त की इंशा और है लिखने की इमला और है आइना आईना-ए-आरिज़ को पहुँचे मुँह कहाँ अक्स देना और है हैरान करना और है दिल कहाँ ऐ 'रश्क' दस्त-ए-कोतह-ए-वहशत कहाँ मेरा सहरा और है मजनूँ का सहरा और है