इन बुतों से जो रह-ओ-रस्म है जारी रखना ऐ ख़ुदा-वन्द-ए-जहाँ बात हमारी रखना पालकी और जनाज़े में नहीं ऐसा फ़र्क़ जो निभे गोर तक ऐ दिल वो सवारी रखना ऐ ग़म-ओ-दर्द-ओ-अलम ऐश-ए-जहाँ फ़ानी है काम आएगा मुलाक़ात तुम्हारी रखना गुलशन-ए-हुस्न-ए-बुताँ फूले फले या-अल्लाह इस चमन में असर-ए-बाद-ए-बहारी रखना चश्म-ए-बुलबुल का कमर-बंद रग-ए-गुल सी कमर गुल-बदन की तुम्हें ज़ेबा है कटारी रखना आश्ना दोस्त नहीं बहर-ए-फ़ना ऐ मुनइ'म चश्मा-ए-फ़ैज़ है दौलत इसे जारी रखना दिल की ताक़त घटे या नूर घटे आँखों से चाहिए ख़ातिर-ए-पुर-नूर तुम्हारी रखना लाख अहबाब सताएँ लब-ए-शिकवा न खुलें मदद ऐ हौसला तू बात हमारी रखना हमीं बरसों रहे हैं तेरे लिए ख़ाना-ब-दोश कुछ जगह दिल में जो रखना तो हमारी रखना हम से बातें रहें औरों से रहे ख़ामोशी इतनी ऐ ग़ुंचा-दहन बात हमारी रखना वो मुवह्हिद हूँ कि दिन रात है राज़िक़ से दुआ एक सरकार से रोज़ी मिरी जारी रखना सर-ए-हासिद के लिए तेग़-ए-ज़बाँ काफ़ी है मुझ में आदत मिरे उस्ताद की जारी रखना 'रश्क' जब तक रहे महमूद रहे दुनिया में आबरू बंदे की ऐ हज़रत-ए-बारी रखना