हम ज़िक्र-ए-नौ-बहार करें या नहीं करें इक जब्र इख़्तियार करें या नहीं करें ख़ून-ए-जिगर चराग़-ए-वफ़ा ख़ाना-ए-उमीद अब उन का इंतिज़ार करें या नहीं करें ज़ंजीर को सँभाल के बैठे हैं देर से दीवानगी को प्यार करें या नहीं करें क्या जाने लूट ले कोई आकर मता-ए-ग़म हालात साज़गार करें या नहीं करें आया है फिर सलाम-ए-मोहब्बत अदब के साथ हम उन पे ए'तिबार करें या नहीं करें 'साबिर' किसी की बज़्म से कुछ वास्ता नहीं ज़िक्र-ए-वफ़ा-शिआ'र करें या नहीं करीं