हम ने आ कर जहाँ में क्या देखा उस की क़ुदरत को जा-ब-जा देखा और देखा तो हम ने क्या देखा हर तरफ़ जल्वा-ए-ख़ुदा देखा जिस घड़ी आप को फ़ना देखा उस घड़ी ख़ास मुद्दआ' देखा नफ़ी इसबात को किया क़ाएम आप से फिर न हक़ जुदा देखा ज़ात-ए-पाक-ए-जनाब-ए-अहमद को मज़हर-ए-नूर-ए-किब्रिया देखा डर नहीं नार का मुझे हरगिज़ मैं ने हैदर सा पेशवा देखा कोई फ़ारिग़ नहीं है दुनिया में सभी को इस में मुब्तला देखा जो कि बेहोश हो के बैठ रहे उन को हुशियार बा-ख़ुदा देखा ऐ तसव्वुर मैं तुझ पे हूँ क़ुर्बान अपने सीने में दिलरुबा देखा कुफ्र-ओ-इस्लाम हो गए वाज़ेह ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ जबकि यार का देखा चैन दिल को नहीं है ऐ ‘बे-गुन’ जब से वो रु-ए-पुर-ज़िया देखा