हम ने देखे थे कभी ख़्वाब सुहाने क्या क्या याद आते हैं वही गुज़रे ज़माने क्या क्या दर्द-ए-दिल यास-ओ-अलम हसरत-ओ-अरमाँ आँसू दफ़्न हैं दिल के ख़राबे में ख़ज़ाने क्या क्या तेरी यादें तिरी चाहत तिरी फ़ुर्क़त तिरा ग़म तू ने बख़्शे मुझे रोने के बहाने क्या क्या दिल में रौशन ही रहे तेरी मोहब्बत के चराग़ आँधियाँ आती रहीं उन को बुझाने क्या क्या हैं वो दुनिया की निगाहों में अजाइब-ख़ाने लोग भी छोड़ गए क़स्र पुराने क्या क्या अहल-ए-दिल अब भी तड़प उठते हैं सुन कर उन को हैं ज़माने में मोहब्बत के फ़साने क्या क्या दश्त-ओ-सहरा पे ही मौक़ूफ़ नहीं है हम ने जुस्तुजू में तिरी देखे हैं ठिकाने क्या क्या संग-बारी से नवाज़ा है तिरे शहर ने जब रोए हैं मेरे लिए आइना-ख़ाने क्या क्या याद-ए-माज़ी ने मुझे जब भी सताया है 'ज़फ़र' एक लम्हे में सिमट आए ज़माने क्या क्या