हम से बिछड़े तो ये दिन कैसे गुज़ारे लिखना कभी परदेस से ख़त नाम हमारे लिखना वो जो कुछ लम्हे गुज़ारे थे मिरे साथ जहाँ कैसे लगते हैं वो दरिया के किनारे लिखना चाँदनी करती है सरगोशियाँ अब भी कि नहीं तुम से क्या कहते हैं जज़्बात तुम्हारे लिखना भेज देना हमें इक फूल बजाए ख़त के कुछ ज़रूरी नहीं लफ़्ज़ों के सहारे लिखना लोग हर बात का अफ़्साना बना देते हैं डाइरी में न कभी शे'र हमारे लिखना