हुस्न आँखों में रहे दिल में जवानी तो रहे ज़िंदगानी तेरे होने की निशानी तो रहे उस की ख़ातिर तो गवारा कोई बन-बास भी है सब के होंटों पे मिरी राम-कहानी तो रहे ज़ब्त में ये भी है गोयाई का अपना अंदाज़ लब हों ख़ामोश मगर अश्क-फ़िशानी तो रहे गर उजालों से गुरेज़ाँ है धुँदलकों में तो आ दिन ब-हर-तौर कटा शाम सुहानी तो रहे तू न शीरीं न मैं फ़रहाद मगर यूँ तो मिलें हम रहें या न रहें अपनी कहानी तो रहे आओ कुछ देर करें पहले-पहल की बातें याद इस प्यार की वो रस्म पुरानी तो रहे तेरी आँखें तो बनें ख़ुश्क जज़ीरे 'जाफ़र' ये जो दरिया हैं तो दरियाओं में पानी तो रहे