हुस्न-ए-ख़ुद-बीं का इशारा मुझे मालूम न था उन की आँखों में है शिकवा मुझे मालूम न था अब सिवा मर्सिया-ए-कम-निगही क्या कहिए सामने था मिरे जल्वा मुझे मालूम न था मुझ को शिकवा नहीं कुछ आतिश-ए-गुल से लेकिन आशियाँ यूँ भी जलेगा मुझे मालूम न था गुम हुई गेसू-ए-जानाँ की सियाही इस में इतनी तारीक है दुनिया मुझे मालूम न था ख़ून-ए-दिल जिस के लिए सर्फ़ किया है मैं ने वो है तारीक उजाला मुझे मालूम न था दूर तक नक़्श-ए-क़दम है न निशान-ए-सज्दा मैं हूँ इस राह में तन्हा मुझे मालूम न था मैं ग़म-ए-अह्द-ए-तअ'ल्लुक़ को भुला बैठा था दिल का हर ज़ख़्म है ताज़ा मुझे मालूम न था देख कर हुस्न का उतरा हुआ चेहरा गुम हूँ उन का ये हाल भी होगा मुझे मालूम न था और भी कुछ दर-ए-ज़िंदाँ से निकलते ही 'वफ़ा' सख़्त हो जाएगा पहरा मुझे मालूम न था