मम्नून-ए-गेसू-ओ-लब-ओ-रुख़्सार कौन है मुझ सा शहीद-ए-ताला'-ए-बेदार कौन है महव-ए-तवाफ़-ए-कूचा-ए-जानाँ सभी तो हैं लेकिन ये देखिए कि सर-ए-दार कौन है इक शम्अ है सो जलती है अपनी ही आग में ऐ सोज़-ए-इश्क़ तेरा अज़ादार कौन है दुनिया है क़ैद-ख़ाना सभी क़ैद हैं मगर इन क़ैदियों में तेरा गिरफ़्तार कौन है गुल राह में बिछे हों तो साथी हज़ार हैं लेकिन रफ़ीक़-ए-वादी-ए-पुर-ख़ार कौन है दिल में हूँ नावक-ए-ग़म-ए-दौराँ लिए हुए मुझ सा हरीस-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कौन है सब फेरते हैं तुझ से नज़र ऐ ज़वाल-ए-हुस्न आईने के सिवा तिरा ग़म-ख़्वार कौन है अपनी दूकाँ बढ़ाइए अब हज़रत-ए-'वफ़ा' इस दौर में वफ़ा का ख़रीदार कौन है