हुस्न-ए-तमाशा दोस्त छुपे क्यों हिजाब में सौ जल्वे रूनुमा हैं किसी के नक़ाब में ऐ कैफ़-ए-बे-ख़ुदी मुझे ले जा उसी जगह हैं सर-ब-सज्दा सैंकड़ों जिस की जनाब में ऐ दर्द ठहर ठहर मिरी जुस्तुजू को देख मैं उन को देखता हूँ हज़ारों नक़ाब में हर मौत का है राज़-ए-निहाँ ज़िंदगी दवाम हर ज़िंदगी बहार है ख़ाना-ख़राब में बन बन के है बिगड़ने में इक शानदर-ए-दिलबरी इक ताज़ा ज़िंदगी है हर इक इंक़लाब में मर मर के हम ने मर्तबा हासिल किया है ये रंग-ए-शबाब लाया है बचपन हिजाब में दरिया में आज किस का सफ़ीना हुआ तबाह क्यों डबडबाए अश्क ये चश्म-ए-हबाब में ऐ जज़्ब-ए-शौक़ ठहर न बढ़ तू हुदूद से राज़-ए-निहाँ अयाँ न हो चश्म-ए-पुर-आब में 'सय्यद' ये इश्क़ और हसीनों की महफ़िलें सब ख़्वाब है जो देख रहे हो शबाब में